Translate in Your Language

जुबान-ए-बेखबर

बाबू मोशाय को शेर-ओ-शायरी का शौक चढ़ा
दोस्त से पूछ कर एक शेर याद किया-

मेरे 'जनाजे' को देखने सारा जहाँ निकला।
बस वही एक कमबख्त नहीं 'निकली' 
जिसके लिए मेरा 'जनाजा' निकला।।

जुबान फिसल गयी और बाबू मोशाय ने कुछ यूँ अर्ज किया-


मेरे 'जनाने' को देखने सारा जहाँ निकला।
बस वही एक कमबख्त नहीं 'निकला'
जिसके लिये मेरा 'जनाना' निकला।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें